RBI ने गोल्ड लोन नियम बदले अब आभूषण और बैंक जारी सिक्कों पर ही मिलेगा लोन- देखिए पूरे नियम

अब हम आपको यह दिखाएंगे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गोल्ड लोन को लेकर कौन से नए नियम बनाए हैं और यह आपको ध्यान से देखने चाहिए क्योंकि इनका असर आप पर भी पड़ सकता है। इन गाइडलाइंस पर वित्त मंत्रालय ने आरबीआई को एक सिफारिश भेजी है और कहा है कि इन नियमों से कम कीमत के गोल्ड लोंस को बाहर रखना चाहिए।

जिस नियम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है एलटीवी रेशो का नियम। इसका मतलब होता है लोन टू वैल्यू रेशो। उदाहरण के लिए ₹1 लाख के सोने पर कितने पैसे का लोन दिया जा सकता है? उसे एलटीवी रेशो कहते हैं। आरबीआई ने अब इसकी एक सीमा निर्धारित करने का फैसला किया है और कहा है कि यह अनुपात 75% से ज्यादा नहीं हो सकता।

यानी आपके पास अगर ₹1 लाख का सोना है तो उस पर अधिकतम आपको ₹75,000 का लोन ही मिल सकता है। यह नियम इसलिए बनाया गया क्योंकि गोल्ड लोन देने वाले बैंक और कंपनियां इस समय सोने की कीमत के बराबर उस पर लोन देती हैं। जैसे अगर आपने ₹1 लाख का लोन दिया तो आपको ₹1 लाख का सोना दिया तो उस पर आपको लोन भी ₹1 लाख का मिल जाएगा

लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि उन्हें चाहे ₹500 की जरूरत हो लेकिन वह अपने ₹1 लाख के सोने पर पूरा ₹1 लाख का ही लोन ले लें। ऐसी स्थिति में आम लोग अपना सोना गिरवी रखकर लोन तो ले लेते हैं लेकिन बाद में ब्याज के साथ उस लोन को लौटाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब इस नियम से आम लोगों का जोखिम कम हो जाएगा।

बैंक और कंपनियां सोने की कीमत के बराबर अब आपको लोन नहीं देंगी और आम आदमी भी ज्यादा उधार लेने से बचेगा। दूसरा नियम यह है कि आप कितना सोना गिरवी रखकर लोन ले सकते हैं। पहले अगर किसी व्यक्ति के पास 5 किलग्र, 10 कि.ग्र. या उससे भी ज्यादा का सोना या ज्वेलरी होती थी तो उस ज्वेलरी को वह गिरवी रखकर बैंक से लोन ले सकता था।

अब इस पर भी एक सीलिंग लग सकती है। आरबीआई ने कहा है अगर आपके पास सोने के सिक्के हैं तो आप अधिकतम 50 ग्राम सोने के सिक्कों पर ही गोल्ड लोन ले सकते हैं। जबकि ज्वेलरी के मामले में आप अधिकतम 1 किलोग्राम सोने पर ही लोन ले सकते हैं। इससे ज्यादा पर नहीं। इस नियम का असर उन परिवारों पर ज्यादा पड़ेगा जिनके पास बहुत ज्यादा सोना होता है। और तीसरा नया नियम यह है जिसे कहते हैं प्रूफ ऑफ ओनरशिप।

इसका मतलब यह है कि जिस सोने पर आप बैंक से लोन मांग रहे हैं, वह सोना आपका ही है। इसका अब से आपको सबूत देना पड़ेगा। यानी अब सोने के साथ उसके बिल को भी उतना ही संभालकर आप रखिएगा। आपके पास सोना है। लेकिन आप साबित कैसे करेंगे कि यह सोना आपका है। उसके लिए आपके पास उसका स्रोत होना चाहिए।

आपको बताना होगा यह सोना कहां से लिया? इसलिए अगर आपने सोना खरीदा है। अगर ज्वेलरी खरीदी है तो उसका बिल संभाल कर रखिए। जिन लोगों के पास उनका पुश्तैनी सोना है या गिफ्ट में उन्हें सोना मिला है या विरासत में मिला है और सोना और आभूषण ऐसे उनके पास हैं जो कि बहुत सारे घरों में होते हैं तो उस सोने को लेकर एक सेल्फ डिक्लेरेशन बैंक में देनी होगी।

बैंक को आपको यह बताना होगा कि यह सोना आपके पास कहां से आया है। लिखकर आपको बताना पड़ेगा कि यह मेरा पुश्तैनी सोना है। यह मुझे गिफ्ट में मिला है। यह मुझे विरासत में मिला है। यह आपको सेल्फ डिक्लेरेशन देना पड़ेगा। यह नियम इसलिए जरूरी है क्योंकि कई बार काले धन को सोने में बदला जाता है और उस सोने पर लोन लेने की कोशिश होती है

जिसे मनी लॉन्ड्रिंग भी आप कह सकते हैं। तो वह सारे लोग जिनके पास ब्लैक मनी है वो उसका सोना ले लिया करते थे और सोने को फिर बाजार में बेच दिया करते थे या सोने पर लोन लेते थे अब उनको मुश्किल आ जाएगी। चौथा नियम है लोन की कीमत कैसे तय होगी। जैसे अभी बहुत सारे बैंक और गोल्ड देने वाली कंपनियां आपको यह बताती हैं कि आप जो सोना गिरवी रखना चाहते हैं वह 24 कैरेट का है, 22 कैरेट का है, 20 का है या 18 कैरेट का है।

ऐसा करके कई बार आपके सोने की वैल्यू्यूएशन बढ़ाई जाती है। जिससे आप ज्यादा लोन ले सकें और ज्यादा लोन लेकर ज्यादा ब्याज चुकाएं। तो हमेशा याद रखिए ये सारी कंपनियां प्राइवेट बैंक प्राइवेट कंपनियां जो गोल्ड लोन देती हैं इनकी कोशिश है कि आप ज्यादा से ज्यादा लोन लें क्योंकि जितना ज्यादा आप लोन लेंगे उनको ब्याज भी उतना ही ज्यादा मिलेगा। लेकिन अब इसे लेकर भी नया नियम बनाया गया है।

इसके तहत आप बाजार में 22 कैरेट के सोने का जो भाव चल रहा है उसी के आधार पर आपके सोने की वैल्यू्यूएशन निकालकर उस पर लोन दिया जाएगा। और पांचवा नियम है फुल डिस्क्लोज़र एग्रीमेंट का। अब जिस सोने पर आपको लोन मिला है उसे सोने का उस सोने का वजन उसका डिस्क्रिप्शन और लोन नहीं चुकाने पर उस सोने की नीलामी को लेकर सारी शर्तें पहले से लिखनी होंगी और इनके बारे में ग्राहकों को बताना होगा।

आरबीआई ने यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में सोने की नीलामी भी एक निश्चित राशि से कम में नहीं होगी और आखिरी नियम है यूज़ मॉनिटरिंग का। इसके तहत अब आपको गोल्ड लोन लेते समय खासतौर पर यह बताना होगा कि आप यह लोन ले क्यों रहे हैं? इस लोन का क्या करेंगे आप? और इन पैसों का इस्तेमाल आप कहां-कहां पर करने वाले हैं?

यह नियम अभी लागू नहीं हुए हैं। लेकिन आरबीआई चाहता है कि अगले साल से इन नियमों का पालन शुरू हो जाए। आरबीआई यह नियम इसलिए लाया क्योंकि अब गोल्ड लोोंस की मांग बढ़ रही है और गोल्ड लोोंस खराब लोोंस में भी तेजी से तब्दील हो रहे हैं। 1 साल पहले अप्रैल 2024 तक बैंकों में सोने के आभूषण गिरवी रखकर ₹11000 करोड़ का लोन दिया गया था।

लेकिन अब अप्रैल 2025 में यही राशि बढ़कर ₹23,000 करोड़ तक पहुंच गई है और इसमें 120% की वृद्धि हुई है। गोल्ड लोन देने वाली प्राइवेट कंपनियों के गोल्ड लोन में भी 6 महीने में 14% की वृद्धि हुई है और इन कंपनियों में भी हमारे देश के लोग अपनी गोल्ड ज्वेलरी गिरवी रखकर ₹174,000 करोड़ का लोन ले चुके हैं। और गोल्ड लोन की यह मांग दो वजहों से बढ़ी। पहला गोल्ड लोन में किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर और सिविल स्कोर देखा नहीं जाता।

अगर आपका सिविल स्कोर बेकार है तब भी आपको लोन मिल जाएगा और अगर आपके पास सोना है तो आपको उस सोने पर अलग-अलग ऑफर्स के साथ आसानी से लोन लोन मिलता है। दूसरा अगर लोग इस लोन को चुका नहीं पाते तो इसका उन पर कोई ज्यादा दबाव नहीं आता। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति पर्सनल लोन लेता है तो उसमें ईएमआई बाउंस होने पर, चेक बाउंस होने पर बैंक से आपके पास कई फोन आते हैं।

आपको कहीं से भी कुछ भी करके अपनी ईएमआई बैंक में जमा करानी पड़ती है। लेकिन गोल्ड लोन के मामले में आपको पता होता है अगर आपने लोन नहीं भी चुकाया तो ज्यादा से ज्यादा आपका गिरवी रखा हुआ सोना नीलाम हो जाएगा। इससे ज्यादा कुछ नहीं। कोई आपको परेशान नहीं करेगा।

यहां आपको अपना सोना गवाने पर अफसोस होता है। लेकिन इसका आपके ऊपर उतना दबाव नहीं होता जितना पर्सनल लोन और दूसरे लोन को नहीं चुकाने पर होता है। और यही कारण है कि बहुत सारे लोग आगे चलकर बैड लोन वाले बन जाते हैं। यानी बैड लोन एक ऐसा लोन जो वापस नहीं किया गया। पिछले साल बैंकों से लिया गया ₹100 करोड़ का गोल्ड लोन लोगों ने चुकाया ही नहीं। लेकिन एक साल बाद आज यही आंकड़ा ₹40 करोड़ का हो गया है।

वह लोन जो चुकाया नहीं गया। इसके गोल्ड लोन देने वाली प्राइवेट कंपनियों का भी 4784 करोड़ का लोन अब एनपीए में तब्दील हो चुका है। यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स बन चुका है। लोग जब गिरवी रखा हुआ लोन छोड़ा नहीं पाते तो वह इसे नीलाम होने देते हैं और ऐसी स्थिति में वह बैंकों से यह भी नहीं पूछ पाते कि उनके नीलाम हुए सोने की कितनी कीमत मिली और इसमें पारदर्शिता भी बहुत कम होती है और यही सोचकर आरबीआई ने यह सारे नियम अब आरबीआई लेकर आया है।

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